मुकद्दर
अपने मंसूबे ही बनाते हैं, अपना मुकद्दर, यह सच , जानते हैं सब मगर, दर दर भटकते हैं मंजिल की, तलाश में, मंजिल उन्हें ही मिलती है, जिनमें उसे पाने की प्यास है, सिर्फ ख्वाब सजाने से, कुछ भी हासिल नहीं होता, मोती पाने के लिये, लगाना होता है सागर में गोता, अपने चयन को, लक्ष्य बनाओ, उसकोव पाने के लिये मर मिट जाओ ।।