जिंदगी का सफर
" जिंदगी का सफर" अपने आप से नाराज हो क्यों, ए जिंदगी है टेढे मेढे राह से गुजरती है, कभी कंकड़ पत्थर कांटे होंगे राहों में, कभी फूलों की लडियां बिछी होंगी राहों में, हर हालात से लडकर ही इंसान आगे बढता है, कभी खुशी कभी गम के दो राहों में, जब घोर अंधेरों में घिर जाता है जीवन सफर, एक कतरा रोशनी भर देता है उजाला, फिर से उम्मीदों के चिराग रोशन हो जाते हैं, जिंदगी फिर मुस्कान से भर जाती है ।।