समंदर की दृढ़ता
"समंदर की दृढता " समंदर बनना है तो ज्वार भाटा, भी बनना होगा, अपने आगोश में तूफान, समेटना होगा, हर तूफान, हर हलचल को, अपने अन्तर में दबाना होगा, हजारों थपेडों को दिन रात, झेलता है समंदर, सारे तूफानों को समेटे, रहता अपने अंदर, ना कभी तोड़ता मर्यादा, शान्त स्थिर सदा समंदर, अपनी भावनाओं, अपने हालात को जिसने भी, काबू में किया, वही इंसान सदा समंदर, बन जीया, समंदर बन जीया ।।