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कैदी

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"कैदी " आजादी पर पहरा बैठा दिया, मुझे तो तुमने कैदी बना दिया, हर सांस से आश छिन रही जैसे, एक कैद का घेरा बन गया ऐसे । एक चारदिवारी में कैद होकर, आजादी के लिये बेचैन होकर, दिन रात कट रहा अंधेरा बनकर, छटपटाहट इन रोशन्दानो में रोशनी आ जाये छनकर ।। एक दर्द एक छटपटाहट उस इन्सान की जो जिन्दगी को सदा जिन्दादिली से जीने की हिम्मत और जज्बा रखता था, परंतु एक अचानक हादसा ने जीवन का भूगोल बदल दिया एक स्वस्थ इन्सान को अपाहिज बना दिया । " जिन्दगी कब रुप बदल दे, कोई आभास नहीं ।"