"बेबसी "

सुलग रही है जिंदगी,
चारों तरफ धुंआ धुंआ,
हर चेहरे हैं बुझे बुझे ,
अंधकार है भरा हुआ,
रोशनी का एक कतरा,
अब कहीं दिखता नहीं,
जिस तरफ भी देखो ,
मातम है पसरा हुआ ,
सुलग रही है जिंदगी,
चारों तरफ धुंआ धुंआ ।
निराशा और बेबसी का,
आलम जिंदगी बेजार है,
हर आंखों में बेचैनी पर,
खुशियों का इंतजार है,
वक्त का यह दौर देखें,
कब तक है रूका हुआ,
सुलग रही है जिंदगी,
चारों तरफ धुंआ धुंआ ।।

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