गीता सार (सुविचार)
हमारी सोच हमारा प्रारब्ध बनती है,
हमारा लक्ष्य हमारे चयन पर निर्भर है,हमारी सफलता हमारे मार्ग की परिणति होती है,
ऐसा श्री कृष्ण ने गीता में कहा है,
तो क्या हमारी सफलता असफलता का उत्तरदायित्त्व हम पर है ?
हां ! हमारे द्वारा चुने हुए मार्ग ही हमारे परिणाम होते हैं ।
जैसे एक माली उद्यान में खाद पानी देकर अच्छी जमीन तैयार करता है, अच्छे बीज का चुनाव कर उसे बोता है । तब उन पौधों से अच्छे मधुर फल फूल मिलते हैं ।
एक बंजर जमीन जहाँ अनावश्यक खर पतवार उगे होते हैं वे अनुपयोगी और हानिकारक होते हैं ।
ठीक वैसे ही मनुष्य का मस्तिष्क है जिसमें हं जितना सकारत्मक विचार डालेंगे, हमें उसका प्रतिफल सकारात्मक एवं फलदायी प्राप्त होंगे ।
अपने मस्तिष्क, अपनी सोच में सकारत्मक ऊर्जा का संचय किजीये परिणाम निश्चित रूप से फलदायी होंगे ।।
* सुविचार *
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