जीवन की जीजिविषा

जीवन की जिजीविषा “
समंदर के किनारे ,
रेत पर बडी शिद्दत से
तस्वीर बनाया,
लहरों का ऐसा रेला आया,
जिसमें रेत का महल बह गया,
हमारे सपने भी रेत पर बनी,
तस्वीर होते हैं,
जो वक्त की आंधी में,
रेत की तस्वीर जैसे बिखर
जाते हैं और एक कसक दे जाते हैं,
जब सपने हकीकत से टकराते हैं,
वक्त के बेरहम पंजो में सिमट,
कर रह जाते हैं ।
जीवन में सपने टूटते हैं,
नये सपने बनते हैं,जीवन रुकता नहीं,
जीवन यात्रा है जिसमें,
फूल, कांटे,कन्कड़,पत्थर से
गुजर कर लक्ष्य तक पहुंचना होता है,
यही जीवन है ।
गिरकर, उठना, उठकर गिरना,
कदम दर कदम आगे बढना ,
आशा का दामन कभी ना छोडना, .
क्या पता कब मुरझाये उपवन, .
में फूल खिल जाये ।।


दौड़ सकते हो तो दौड़ो,
चल सकते हो तो चलो,
घिसट सकते हो तो घिसटते बढो ,
पर सदैव प्रयत्नशील रहो ।।”

Comments

Popular posts from this blog

TAJ MAHAL

"बेबसी "

Mind Shift