शिक्षा का व्यावसायिकरण (Education Business)

शिक्षा आज एक शुद्ध व्यवसाय हो गया है । शिक्षण संस्थानों में बडे बडे बडे व्यावसायिक घराने जुड गए हैं ।
आधुनिक सुविधाओं से युक्त उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थानों का निर्माण किये हैं जिसमें धनाड्य घरानों, वी वीवीआईपी के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है और लाखों में फीस ली जाती है । शिक्षा एक status symbol हो गया है । 
बडे लोगों को दिखाना होता है कि मेरा बच्चा डानबास्को, अंम्बानी इंटरनेशनल में पढता है,  पढाई से ज्यादा माता पिता को गर्व महसूस होता है ।
शिक्षा का वर्गीकरण हो गया है:
1: अमीर वर्गीय शिक्षा 
2: मध्यमवर्गीय शिक्षा 
3: निम्नवर्गीय शिक्षा 
अर्थात जो आर्थिक रूप से जितना सक्षम उस तरह के शिक्षण संस्थानों में उनके बच्चे पढते हैं ।
मेरा अपना विश्लेषण है कि आधुनिक सुविधाओं से युक्त संस्थानों के बच्चे अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं एक status maintain करते हैं,  पर वे औसतन व्यापार, सिनेमा अथवा राजनीति में जाते हैं, जहाँ उनकी खुद की बौद्धिक क्षमता से नहीं बल्कि अपने पारिवारिक धरातल ( Family Background) से नाम एवं पहचान बनाते हैं ।
एक मध्यवर्गीय संस्थाओं, एवं निम्नवर्गीय संस्थाओं के बच्चे अपनी मेहनत और बौद्धिक क्षमता से अपनी पहचान बनाते हैं ।
उदाहरण के तौर पर डाक्टर अब्दुल कलाम साहब, महात्मा गाँधी जी,  लाल बहादुर शास्त्री जी ऐसे ना जाने कितने व्यक्तित्व है जो एक मध्यवर्गीय या निम्नवर्गीय संस्थाओं में पढकर अपना नाम देश विदेश में स्थापित किया है ।
जो हमारे देश के इतिहास में सदैव आदर और सम्मान के प्रतिबिम्ब बने रहेंगे ।।
ज्ञान का दान अपने बुद्धि और विवेक का सम्मान है,
पैसे से ज्ञान खरीदा नहीं जा सकता है ,
ज्ञान एक साधना है जो परिश्रम से मिलता है, 
न कि वैभव के दिखावे से  ।।

Comments

Popular posts from this blog

Mind Shift

दानवीर कर्ण

जीवन की जीजिविषा